Gorakshasana (गोरक्षासन) महान योगी गोरक्षनाथ के नाम पर पड़ा है| योगी जी प्रायः इसी आसन में बैठते थे| इस आसन से शरीर पतला होता है और जड़ता नष्ट होती है| चित्त की चंचलता कम होती है और बुद्धि तीक्ष्ण होती है| शरीर शुद्धिकरण में अपना सहयोग देने लगती है|
गोरक्षासन करने की विधि
- सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएँ|
- पैरों के घुटने को मोड़ते हुए, एड़ियाँ एक साथ ले आएं|
- एड़ियों को दोनों जांघों के मध्य न रखें; उन्हें नाभि की ओर उठाकर सामने रखें|
- आगे बढ़कर एड़ियों पर बैठ जाएँ| ध्यान रखें छाती ना मुड़े, मेरुदण्ड सीधा रहे|
- दोनों घुटने जमीन पर सटे रहने चाहिए और हाथ दोनों घुटनों पर रखें|
- मुख सामने और श्वांस सामान्य|
गोरक्षासन के लाभ
- किडनी, बवासीर में लाभ|
- घुटने को मजबूत बनाता है|
- संतुलन में सहायक|
- नर्वस सिस्टम को बल मिलता है|
- पाचन सिस्टम मजबूत होता है|
- मल-मूत्र सही मात्रा में विसर्जित होता है|
- गैस्ट्रिक को दूर करता है|
- गर्भाशय सम्बंधित विकृतियाँ ठीक होती हैं|
- यह कुण्डलिनी जागरण में अहम भूमिका निभाता है|
- पैरों और पंजों को लचीला बनाता है|
सावधानियां
- घुटने अथवा एड़ी में दर्द वाले व्यक्ति ना करें|
- ज्यादा मोटे हैं तो सावधानी बरतें|
अनुगृहित (Obliged) –
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने गोरक्षासन को विस्तार पूर्वक बताया|
Thanks for sharing healthy yoga. Please share corona related yogasan.