योग में वर्णित वशिष्ठासन को स्वास्थ्य का खजाना माना जाता है| संस्कृत शब्द वशिष्ठ का अर्थ धनवान होता है| यह आसन को ऋषि वशिष्ठ की प्रेरणा से बनाया गया है| ऋषि वशिष्ठ, सप्तऋषियों में से एक महान सन्त थे जिनके पास एक दैवीय गाय थी जिसे कामधेनु कहते थे, जो ऋषि की हर कामना को पूर्ण करती थी, जिसके कारण महर्षि वशिष्ठ धनवान हो गए थे| यह आसन भी अनन्त शक्तियों का भण्डार है जिसके अभ्यास से मनुष्य कई तरह के स्वास्थ्य धन को प्राप्त कर सकता है|

Vashishthasana (वशिष्ठासन)
Vashishthasana (वशिष्ठासन)

वशिष्ठासन करने की विधि

  • जमीन पर चटाई बिछाकर दोनों हाथों के तलवों को फर्श पर रखें|
  • हाथों को यथावत रखते हुए, शरीर को पीछे की ओर ले जाएँ|
  • पैरों को सीधा रखते हुए शरीर का भार दोनों हाथों और पैरों पर समान रूप से डालें और शरीर का सन्तुलन बनाए रखें|
  • अब धीरे-धीरे अपने हाथ से लेकर पैरों तक के भाग को अपने बाएं तरफ मोड़ें और बाएं हाथ को कूल्हे पर रखें|
  • बाएं पैर को दाहिने पैर पर आराम से रहने दें|
  • इस अवस्था में शरीर का वजन दाहिने हाथ व दाहिने पैर पर संतुलित रहता है|
  • श्वांस भरते हुए बाएं हाथ को सीधी रेखा में ऊपर उठायें और अँगुलियों को ऊपर की दिशा में इंगित करें|
  • कुछ देर (आधा मिनट) तक इसी अवस्था में बने रहें और गर्दन मोड़ कर उठे हुए अँगुलियों को देखते रहें|
  • श्वांस छोड़ते हुए हाथ नीचे लाएं और पुनः सामान्य अवस्था में आ जाएँ|
  • इसी तरह से दूसरी तरफ दोहराएँ|
  • अभ्यास करते समय ध्यान भृकुटी पर या अँगुलियों पर केन्द्रित रखें|
  • शुरुआत में संतुलन बनाने के लिए दिवार या साथी का सहारा ले सकते हैं|
  • इस आसन में आगे चलकर दायाँ पैर उठाकर दायें हाथ से पकड़ भी सकते हैं|
  • अधिक से अधिक पांच बार इस आसन को कर सकता हैं|
Vashishthasana (वशिष्ठासन)
Vashishthasana (वशिष्ठासन)

वशिष्ठासन के लाभ

  • पैर, पेट और हाथों को मजबूती प्रदान करता है|
  • नवीन ऊर्जा और शक्ति को बढ़ाता है|
  • चेहरे को तेजस्वी और कान्तिमय बनाता है|
  • पैर और पीठ के पीछे खिचाव बनाता है|
  • सभी धातुरोग और वीर्यदोष का उपचार करता है|
  • एकाग्रता और निर्याणक क्षमता का विकास करता है|
  • फेफड़ों के कार्य क्षमता को शक्ति प्रदान करता है|
  • थायरायड व गले के रोगों में लाभकारी है|
Vashishthasana (वशिष्ठासन)
Vashishthasana (वशिष्ठासन)

सावधानियां

  • कलाई में कभी चोट लगी हो तो ना करें|
  • कन्धे व कोहनी में समस्या हो तो परहेज करें|
  • हाई ब्लड प्रेशर वाले ना करें|

अनुगृहित (Obliged) –

मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने वशिष्ठासन को विस्तार पूर्वक बताया|