Ushtrasan (उष्ट्रासन) में उष्ट्र संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ है ऊँट| यह आसन शरीर को ऊँट जैसा आकार देता है| इसको हम दो प्रकार से कर सकते है| नए अभ्यासियों के लिए शुरुआत में अर्ध उष्ट्रासन करें| अभ्यास बन जाए तो फिर दूसरा पूर्ण उष्ट्रासन में जाने का प्रयास करें| शारीरिक-मानसिक स्थिति में सुधार लाकर स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है|

अर्ध उष्ट्रासन

Ushtrasan - उष्ट्रासन
Ushtrasan – उष्ट्रासन
  • घुटनों के बीच फासला रखते हुए वज्रासन में बैठ जाएँ|
  • एड़ियां, नितम्भ के दोनों ओर रहे|
  • पैर के पंजों का ऊपरी भाग जमीन पर टिका रहे|
  • अब घुटनों के बल खड़े हो जाएँ|
  • फिर दोनों हाथों को कमर पर रखें|
  • श्वांस भरते हुए, कमर के पीछे की ओर मुड़ें और सिर भी पीछे पीठ की तरफ मोड़ें|
  • 10-15 सेकण्ड्स रुकें, फिर सिर को उठाते हुए घुटने पर खड़े रहिये और पुनः इस मुद्रा को दोहराएँ|
  • 2-3 बार करें|
Ushtrasan - उष्ट्रासन
Ushtrasan – उष्ट्रासन

पूर्ण उष्ट्रासन

Ushtrasan - उष्ट्रासन
Ushtrasan – उष्ट्रासन
  • सबसे पहले घुटनों के बल (वज्रासन) बैठ जाएँ|
  • घुटने और पैरों के बीच एक फुट की दूरी बनाएं|
  • अब घुटने पर खड़े हो जाएँ|
  • श्वांस लेते हुए पहले बाएं हथेली को पीछे मोड़ते हुए बाएं एड़ी पर रखें, फिर दाएँ हथेली को दाएँ एड़ी पर रखने का प्रयास करें|
  • अब गर्दन को धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकाएं|
  • जांघ फर्श के समकोण पर लाने का प्रयास करें|
  • शरीर का वजन समान रूप से पैरों और भुजाओं पर होना चाहिए|
  • जितनी देर तक आरामदायक लगे उतनी ही देर तक रहें|
  • अब धीमी गति से हाथ को एक-एक करके एड़ियों से हटायें और पूर्व स्थिति में आ जाएँ|
  • 2-3 बार अभ्यास करें|
Ushtrasan - उष्ट्रासन
Ushtrasan – उष्ट्रासन

उष्ट्रासन के लाभ

  • पेट की चर्बी को कम करता है|
  • पैन्क्रियाज को उत्तेजित करता है और इन्सुलिन के स्राव मेसहायक होता है, अतः डायबिटीज में लाभकारी है|
  • फेफड़े के लिए उत्तम योग है, फेफड़े को मजबूत करता है, अतः फेफड़े सम्बन्धित परेशानियों से बचाता है|
  • कमरदर्द के लिए रामबाण है|
  • प्रजनन प्रणाली में लाभकारी|
  • दृष्टि विकास में अत्यंत लाभदायक है|
  • गर्दन पीछे मुड़ता है, अतः गर्दन दर्द में लाभ करता है|
  • पाचन तन्त्र में सुधार लाता है|
  • स्लिप-डिस्क और साईटिका में भी लाभ होता है|
  • मासिक-धर्म सम्बन्धी गड़बड़ी को सुधारता है|
  • कमर को पतला और चेहरे पर चमक लाता है|

सावधानियां

  • उच्च रक्तचाप में ना करें|
  • अधिक कमर दर्द है तो परहेज करें|
  • हर्निया में वर्जित|
  • साईटिका व स्लिप-डिस्क में प्रशिक्षक के देखरेख में करें|
  • पीठ के निचले हिस्से में चोट हो तो ना करें|
  • थायरायड की अधिकता में ना करें|

अनुगृहित (Obliged) –

मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने माताजी की मदद से उष्ट्रासन को समझाया|