हिंदी में मण्डूक का अर्थ मेढक होता है| इस आसन को करते समय शरीर की आकृति मेढक जैसी बन जाती है| इसलिए इसका नाम मण्डूक आसन पड़ा| इस आसन का सबसे बड़ा लाभ शुगर और पेट के रोगियों को होता है| यह योग आसनों की प्रमुख मुद्राओं में से एक है| इसका अभ्यास सभी को नियमित करना चाहिए|
मण्डूक आसन करने की विधि
- वज्र आसन में बैठ जाएँ|
- अब दोनों हाथों से अलग-अलग मुट्ठी बांधकर नाभि के पास ले आयें|
- मुट्ठी जांघ पर ऐसे रखें कि खड़ी ही रहें, उंगलियाँ उदर की तरफ हो|
- अब सांस को छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इतना नीचे लायें कि जांघ पर टिक जाएँ|
- ध्यान रहे कि झुकते समय मुट्ठी खड़े-खड़े ही नाभि पर दबाव डालें|
- सिर और गर्दन उठाए रखें और दृष्टि सामने हो|
- जबतक श्वांस बाहर निकाल कर रुक सके तब तक उसी अवस्था को बनाये रखें|
- फिर श्वांस लेते हुए अपनी पूर्व अवस्था में आ जाएँ|
- यह एक चक्र पूरा हुआ|
- शुरुआत में इसे 3-5 बार करें|
मण्डूक आसन के लाभ
- पूरे पेट के अंगों की मालिश करता है|
- पाचन तन्त्र और उत्सर्जन प्रणाली में सुधार करता है|
- पेट के अवांछित गैस को दूर करने में मददगार है|
- वजन घटाने और पेट को सपाट करने में सहायक है|
- कब्ज और अपचन में लाभ|
- जांघ और कूल्हे की अतिरिक्त वसा को कम कर देता है|
- तनाव, चिन्ता व अवसाद को दूर करता है|
- पुराने ग्रन्थों में वर्णन मिलता है कि इस आसन में कुण्डलिनी जागृत करने में मदद मिलती है|
- इस आसन से इन्सुलिन की मात्रा शरीर में संतुलित होती है|
- यह अग्न्याशय में सुधार लाता है, इसलिए मधुमेह में अत्यन्त लाभदायक है|
- शर्करा को नियन्त्रित करने में प्रभावी है|
- हृदय रोगों में भी फायदेमंद है|
- एड़ी व पीठ दर्द को ठीक करता है|
- दमा में लाभदायक है|
- छाती और कन्धों के लिए अच्छा माना जाता है|
सावधानियां
- पेट में चोट या गम्भीर कारणों से पीठ दर्द में न करें|
- घुटना दर्द में वर्जित|
- पेट अल्सर में इस आसन से बचें|
- आसन के दौरान पेट पर अधिक खिंचाव न डालें|
- उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, माइग्रेन में आसन न करें|
- गर्भवती को नहीं करना है|
अनुगृहित (Obliged) –
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने माताजी की मदद से मण्डूक आसन को प्रदर्शित किया|
बहुत काम का आसन है धन्यवाद सर् ।।