Natraj Aasan (नटराज आसन) शिव के ताण्डव नृत्य का प्रतीक है| नटराज का यह नृत्य विश्व की पांच महान क्रियाओं का निर्देशक है –

  • सृष्टि
  • स्थिति
  • प्रलय
  • तिरोभाव (अदृश्य और अन्तर्हित)
  • अनुग्रह

शिव के नटराज की मूर्ति में धर्म, शास्त्र और कला का अनूठा संगम है| इसी नृत्य मुद्रा पर एक आसन का नाम Natraj Aasan (नटराज आसन) दिया गया है|

नटराज आसन की विधि

Natraj Aasan
Natraj Aasan
  • खड़े हो जायें, पंजों को एक साथ रखें, दृष्टि सामने|
  • दायें पैर को पीछे ले जाकर जमीन से ऊपर उठायें और घुटने से मोड़कर उस उस पैर के पंजे को दायें हाथ से पकड़ें|
  • दायें हाथ से दायें पैर को अधिकतम ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें|
  • बाएं हाथ को ऊपर की ओर साँस भरते हुए उठायें, इस दौरान सिर को ऊपर की ओर उठाए रखें|
  • 30 सेकण्ड्स के बाद वापस पूर्व की स्थिति में आ जायें|
  • फिर इसी क्रिया को दूसरे पैर से करें|

नटराज आसन के लाभ

  • तन्त्रिका तंत्र में संतुलन लाता है|
  • मानसिक एकाग्रता प्रदान करता है|
  • स्पाइन और कन्धों को लचीला बनाता है|
  • शरीर पर नियंत्रण का विकास करता है|
  • पैरों में लचीलापन आता है|
  • जांघ, कमर, हिप, टखने और जांघों की मसल्स को मजबूती प्रदान करता है|
  • पाचन अंगों के कार्य को सुधारता है|
  • तनाव को कम करता है|
  • इस आसन से बुढ़ापे के रोगों पर काबू पाया जा सकता है|
  • आत्मविश्वास पैदा करता है|
  • लम्बे समय तक युवा रहने के लिए नियमित अभ्यास करें|
  • चेहरे पर चमक और सुन्दरता लाता है|
  • निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है|

सावधानी

  • घुटने में दर्द हो तो ना करें|
  • वेरिकोज वेन्स में ना करें|
  • सायटिका में ना करें|
  • रीढ़ की हड्डी में कोई तकलीफ हो तो ना करें|

अनुगृहित (Obliged) –

मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने माताजी की मदद से नटराज आसन करने का सजीव वर्णन किया|