यह कचौड़ी राजस्थान में प्रसिद्ध है। वैसे भी कचौड़ी का नाम आते ही मुंह में पानी आने लगता है। तो आज हम बनाने जा रहे हैं प्याज की कचौड़ी (Pyaj ki Kachori)।
कचौड़ी के लिए आवश्यक सामग्री :-
- मैदा 500 ग्राम
- अजवाइन 1/2 छोटा चम्मच
- नमक स्वाद अनुसार ( काला नमक डालने से अच्छा स्वाद आता है ) कुछ सफेद नमक भी डालना चाहिए। दोनों मिला कर स्वाद अनुसार ही नमक डालें
- तेल; तलने और मोयन के लिए
- सौफ 1 छोटा चम्मच
- धनिया साबुत 1 छोटा चम्मच
- जीरा 1 छोटा चम्मच
- प्याज 4
- आलू 3 उबले हुए
- हींग 2 चुटकी
- हरी मिर्च 2 महीन कटी हुई
- अदरक 1 इंच टुकड़ा
- लाल मिर्च 1 1/2 या जितना तीखा आप पसंद करते हैं
- हल्दी चौथाई चम्मच
- बेसन 2 चम्मच
- नींबू रस 1 चम्मच
- चीनी 1 छोटा चम्मच
- गरम मसाला 1/2 छोटा चम्मच
- हरी धनिया महीन कटी हुई
अब सबसे पहले मैदा ले उसमे अजवाइन दोनों हथेलियों से रगड़ कर मैदा में डाल दें, थोड़ा नमक, तेल डाल कर अच्छे से मिला ले। मोयन अच्छा होना चाहिये। अब पानी डाल कर मैदा अच्छे से गूंथ ले और 15 मिनट का रेस्ट दे।
मैदा सॉफ्ट होना चाहिए।
सौफ, धनिया, जीरा रोस्ट कर दरदरा पीस ले ( महीन न होने दे)।
सभी प्याज को चकोर साइज में काट ले, आलू उबाल कर छिल ले।
अब तेल गरम कर मसाला डाल कर भुने फिर हींग, हरी मिर्च, कद्दूकस कर अदरक डाले।
2 मिनट तक भुने, प्याज डाल के मध्यम आंच पर भुने जब तक प्याज पारदर्शी न हो जाये। अब नमक, हल्दी, बेसन, गरम मसाला, नींबू रस, आलू डालकर अच्छे से मिलकर भून लें।
मसाला तैयार कर हरी धनिया डाल कर ठंडा कर ले।
नींबू रस की जगह अमचूर का भी प्रयोग किया जा सकता है
अब मैदा में इस मसाले को भर कर चपटा कर हल्के आंच पर सुनहरा होने तक तेल में तले।
आप की जोधपुरी प्याज की कचौड़ी तैयार है।
कच्चे आम की चटनी के लिए आवश्यक सामग्री :-
- 6 आम
- 2 लाल मिर्च
- काला नमक स्वाद अनुसार
- कलौजी 1/2 चम्मच
- सौफ 1 चम्मच
- 2 तेज पता
- 1 पीपर
- गुड़ 75 ग्राम
- चीनी मीठा करने के लिए जैसा आप पसंद करते हैं
तेल गरम कर उसमें पीपर ( कूट कर), तेज पत्ता, लाल मिर्च, सौफ, कलौजी डाल कर 2 मिनट भुने अब उसमे आम डाल कर कुछ देर भुने। 5-7 मिनट बाद नमक, गुड़, चीनी डालें । 1 कप पानी भी डाल दें। 10 से 15 मिनट धीमी आंच पर पकाने दे।
आम को कद्दूकस कर लें।
आप की खट्टी – मीठी चटनी तैयार है।
नोट: चटनी में अच्छा रंग लाने के लिए खाने वाले रंग का भी प्रयोग किया जा सकता है
ये चटनी कई दिनों तक खराब नहीं होती है।
साभार –
मेरे मित्र अमरेश्वर सिंह – एम.ए.(अर्थ शास्त्र), एल.एल.बी., बी.एड. की शिक्षा उपरांत इनके पिता जी (श्री सुरेंद्र प्रताप सिंह) ने उनके पूज्यनीय दादा जी स्मृति शेष बीरेश्वर प्रसाद जी की याद में एक स्कूल की स्थापना सन 2009, हरहुआ, वाराणसी में विश्वेश्वर शिक्षण संस्थान के नाम से की, जो अमरेश्वर द्वारा संचालित हो रहा है।
स्कूल के नाम के पीछे एक छोटी कहानी है :-
अमरेश्वर के पिता जी स्कूल का नाम उनके दादा जी के ही नाम पर रखना चाहते थे, अपने इस विचार को उन्होंने मेरे ताऊ जी को बताया। तब ताऊ जी (स्मृति शेष उदय प्रताप सिंह) ने स्कूल को विश्वेश्वर नाम दिया और कहा कि यह भोले नाथ जी का नाम है, ये नगरी भी उन्ही के नाम से जानी जाती है और पिता जी का नाम भी इसमे सम्मिलित है इस तरह स्कूल का नाम विश्वेश्वर शिक्षण संस्थान रखा गया।
Very nicely explained and after cooking Kachori I realized how tasty it is.