वर्तमान कोरोना महामारी में आप प्राकृतिक विधि से अपनी प्रतिरोध क्षमता बढ़ा सकते हैं| फेफड़े एवं गले के लिए Coronashan Kriya (कोरोनाशन क्रिया) योग| कोरोना (CORONA, COVID-19) जैसे वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रबल करने हेतु विभिन्न आसन इस पोस्ट में वर्णित किये जा रहे हैं|
यौगिक क्रिया से शरीर में कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता आ जाती है|
प्रथम आसन क्रिया (Method 01): उत्तान हस्त प्रसार आसन
दोनों पैरों के बीच छः इंच की दूरी रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ|
दोनों हाथ जमीन के समानांतर फैलाएं|
फेफड़े में श्वांस भरते हुए पीछे की ओर झुकें, हाथ को जितना पीछे ले जा सकते हैं उतना ले जाएँ|
गर्दन भी साथ में पीछे झुकाएं|
श्वांस छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आएं|
सामर्थ्यानुसार 15-20 बार दोहराएँ|
द्वितीय आसन क्रिया (Method 02):
पैरों के बीच एक-फुट की दूरी बनाकर दोनों हाथ कमर पर रखकर सीधे खड़े हो जाएँ|
फेफड़ों में श्वांस भरते हुए पीछे की ओर झुकें, सिर को भी पीछे की ओर झुकाएं|
घुटना मोड़ते हुए, कमर से आगे की ओर झुकते हुए श्वांस को झटके से छोड़ें|
पुनः श्वांस भरते हुए पीछे झुकें|
सामर्थ्यानुसार 10-20 बार दोहराएँ|
तृतीय आसन क्रिया (Method 03) एवं लाभ:
पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएँ|
दोनों हथेली घुटने पर रखें|
अधिकतम श्वांस फेफड़ों में भरें|
गर्दन पीठ से सटाते हुए श्वांस रोककर, कमर से झुकते हुए बाएं तरफ से दाहिने ओर ले जाएँ; पूरा गोल-गोल घुमाएँ|
आसानी से श्वांस रोकते हुए शरीर को घुमाएँ|
क्लॉक-वाइज, एन्टी क्लॉक-वाइज, दोनों ही तरफ 10-10 बार दोहराएँ|
फेफड़े में हवा भरी रहने से इस क्रिया में फेफड़े की सभी कोशिकाओं की मसाज हो जाती है|
कार्य क्षमता बढती है|
चतुर्थ आसन क्रिया (Method 04) एवं लाभ:
सुखासन में बैठें|
दोनों हाथ घुटने पर रखें|
रीढ़ की हड्डी सीधी रखें|
श्वांस फेफड़े में अधिकतम स्तर तक भरें|
श्वांस रोके रखेंगें|
कमर से आगे झुकते हुए सिर को पीठ से सटाने का प्रयास करें|
श्वांस रोके हुए सामान्य स्थिति में आकर ठुड्डी को छाती से लगायें|
कम से कम 10 बार दोहराएँ|
इस क्रिया में जब आगे झुकते हैं तो सीना फैलता है और पीछे जाने पर सीने पर दबाव पड़ता है|
फेफड़े के कार्यक्षमता में वृद्धि होती है|
पंचम आसन क्रिया (Method 05):
पीठ के बल लेट जाएँ, पैर मिलाकर रखें|
दोनों हथेली हिप्स के पास रखें|
कुहनी पर दबाव देते हुए छाती को ऊपर उठायें, सिर पीछे की ओर झुकाएं और जमीन पर टिका दें|
श्वांस भरते हुए पेट को ऊपर खींचना है|
इसी प्रकार श्वांस खींचिए और छोड़िए|
10 बार दोहराएँ|
षष्टम आसन क्रिया (Method 06) एवं लाभ:
सीधे लेट जाएँ|
दोनों पैर मोड़कर टखने को पकड़ें|
कमर को ऊपर उठाएँ|
श्वांस को पेट में भरिये फिर इसी अवस्था में पेट से धक्का मारिए|
अभ्यासनुसार 10-25 बार दोहराएं|
इससे ENT को लाभ मिलता है|
सप्तम आसन क्रिया (Method 07):
पेट के बल लेट जाएँ|
दोनों हाथ मोड़कर हथेली को कन्धे की सीध में जमीन पर रखें|
श्वांस भरते हुए कुहनी तक ऊपर उठें, श्वांस छोड़ते हुए नीचे आएं|
इस आसन को 10-25 बार करें|
अष्टम आसन क्रिया (Method 08), लाभ एवं सावधानी:
पद्मासन या सुखासन में बैठें|
रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें|
श्वांस भरते हुए कन्धा ऊपर उठायें|
झटके से श्वांस छोड़ते हुए कन्धा नीचे लाएं|
इस क्रिया को 50-100 बार तक कर सकते हैं|
हृदय के ब्लोकेज खुलते हैं|
फेफड़ा मजबूत होता है|
हृदय सम्बन्धी समस्या वाले व्यक्ति धीरे-धीरे क्षमतानुसार करें|
नवम आसन क्रिया (Method 09):
पद्मासन अथवा सुखासन में बैठ जाएँ|
रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें|
श्वांस भरते हुए दोनों हथेली खोलकर हाथ ऊपर ले जाएँ|
श्वांस छोड़ते हुए मुठ्ठी बांधकर हाथ नीचे लाएं|
यह क्रिया 25-50 बार करें|
दशम आसन क्रिया (Method 10):
पद्मासन या सुखासन में बैठें|
रीढ़ को सीधा रखें|
दोनों हाथों को मुठ्ठी भींचकर सीने की सीध में लाएं एवं सीने का समानांतर सामने से पीछे की तरफ तेजी से ले जाएँ एवं तुरंत वापस लाएं|
इसे 10 बार कर सकते हैं|
एकादश आसन क्रिया(Method 11):
पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाएँ|
दोनों हाथ घुटने पर रखें|
रीढ़ को सीधा रखें|
अब श्वांस लेते हुए गर्दन को पीछे ले जाएँ, और झटके से श्वांस छोड़ते हुए ठुड्डी सीने से लगायें|
यह क्रिया एक तारतम्य में लगातार करते रहें, लगभग 25 बार|
गर्दन दर्द या स्पोंदडिलायिटिस वाले परहेज करें|
द्वादश आसन क्रिया (Method 12):
यह सबसे उत्तम कोटि की क्रिया है| 72 हजार नाड़ियों पर प्रभाव डालता है जो नाभि के केंद्र से सम्बद्ध होता है| इस क्रिया को करते रहने से लकवा-फालिस नहीं मारता क्यूंकि ब्रेन (मस्तिष्क) के सभी नाड़ियों को भरपूर ऑक्सीजन पहुंचाता है और ब्रेन में कहीं भी ब्लोकेज नहीं हो पाता, अगर है भी तो खुल जाता है| मस्तिष्क सशक्त हो जाता है| चूँकि सारी समस्या ब्रेन से ही होती है अतः उसका निराकरण करता है| नख से शिखा तक सारा चैनल खुल जाता है| शरीर के सारे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अच्छी तरह से काम करने लगते हैं| नर्वस सिस्टम, सर्कुलेटरी सिस्टम और रेस्पिरेटरी सिस्टम में कहीं भी कोई बाधा नहीं रह जाती है| इस क्रिया को नियमित करना चाहिए|
पहले हवादार स्थान पर आसन पर सीधे लेट जाएँ|
हाथ समानांतर पीछे ले जाएँ, अब श्वांस भरते हुए हाथ-पैर 3-4 बार अपोजिट खींचें|
अब इसी अवस्था में श्वांस खींचते हुए पेट फुलाएं, फिर झटके से श्वांस छोड़ते हुए पेट को अन्दर धक्का मारें।
एक क्रमबद्ध तरीके से, लगातार पेट फुलाएं और नाभि पर धक्का मारें, इसे 25 बार करें|
अब ध्यान दीजिये – दोनों हाथ पीछे खींचते हुए श्वांस भरेंगे और पेट को सीने की तरफ खिचेंगे|
यह क्रिया शुरुआत में लगातार 10 बार करें|
अब फिर श्वांस भरते हुए पेट फुलाकर नाभि पर धक्का मारेंगे, इसे 25 बार और फिर पेट को सीने की तरफ खींचने वाली क्रिया करेंगे|
एक बार पहले वाला फिर दूसरा, फिर पहले वाला फिर दूसरा; लगभग 100 बार|
आवश्यकता पड़े तो विश्राम ले सकते हैं|
इस क्रिया को धीरे-धीरे बढ़ाते जाएँ, क्रम सही होना चाहिए|
उज्जई प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
लाभ
गले और फेफड़े को सशक्त बनाता है|
प्रत्येक व्यक्ति को नियमित करना चाहिए|
जीवन दीर्घायु एवं निरोगी रहेगा|
नर्वस सिस्टम और सर्कुलेटरी सिस्टम हमेश क्लियर रहेगा|
असमय मृत्यु नहीं होगी|
व्यक्ति सबल बनता है|
विशेष – अपनी सामर्थ्यानुसार आसन क्रिया करें, धीरे-धीरे गिनती बढ़ाएं|
अनुगृहित (Obliged) –
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने कोरोनाशन क्रिया को विस्तार पूर्वक बताया|
मैं माही, मुझे शुरू से ही Shayari, Quote & Poetry (शायरी, विचार एवं कवितायेँ) लिखने का शौक रहा है| मैंने बहुत से लेख लिखे हैं उनमें से कुछ को मैं यहाँ ब्लॉग साईट पर पोस्ट कर रही हूँ|…
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