Garud Aasan (गरुड़ आसन) में आपकी आकृति ठीक गरुड़ पक्षी के समान होती है, इसलिए इसका नाम गरुड़ आसन रखा गया है| इसे ठीक प्रकार से करने से जातक को शारीरिक रूप से अलग-अलग लाभ मिलते हैं|
हिन्दू धर्म में गरुड़ पक्षी को भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है जो कि शक्ति, सन्तुलन, समन्वय और सामंजस्य का प्रतीक है|
इसी प्रकार गरुड़ आसन के माध्यम से जातक अपना परिचय देते हैं| खड़े होकर करने वाले योग में यह एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है| यह योगासन मुख्य रूप से कन्धे, कलाई, बाजू और पैर वाले हिस्से पर असर डालता है, साथ ही टखने और कूल्हे को भी मजबूत करता है| जो इस आसन को करना चाहते हैं, उन्हें शरीर का सन्तुलन बनाए रखने की अधिक आवश्यकता होती है|
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने गरुड़ आसन को विस्तार पूर्वक बताया|
मैं माही, मुझे शुरू से ही Shayari, Quote & Poetry (शायरी, विचार एवं कवितायेँ) लिखने का शौक रहा है| मैंने बहुत से लेख लिखे हैं उनमें से कुछ को मैं यहाँ ब्लॉग साईट पर पोस्ट कर रही हूँ|…
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