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Garud Aasan (गरुड़ आसन)

Garud Aasan (गरुड़ आसन) में आपकी आकृति ठीक गरुड़ पक्षी के समान होती है, इसलिए इसका नाम गरुड़ आसन रखा गया है| इसे ठीक प्रकार से करने से जातक को शारीरिक रूप से अलग-अलग लाभ मिलते हैं|

हिन्दू धर्म में गरुड़ पक्षी को भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है जो कि शक्ति, सन्तुलन, समन्वय और सामंजस्य का प्रतीक है|

इसी प्रकार गरुड़ आसन के माध्यम से जातक अपना परिचय देते हैं| खड़े होकर करने वाले योग में यह एक महत्वपूर्ण योगाभ्यास है| यह योगासन मुख्य रूप से कन्धे, कलाई, बाजू और पैर वाले हिस्से पर असर डालता है, साथ ही टखने और कूल्हे को भी मजबूत करता है| जो इस आसन को करना चाहते हैं, उन्हें शरीर का सन्तुलन बनाए रखने की अधिक आवश्यकता होती है|

Garud Aasan (गरुड़ आसन)

गरुड़ आसन करने की विधि

  • इस आसन को करने से पहले शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को तैयार करें|
  • किसी समतल फर्श पर मैट को बिछाएं|
  • अब ताड़ासन मुद्रा अर्थात सीधे खड़े हो जायें|
  • श्वांस सामान्य तरीके से लेते रहें|
  • दोनों हाथों को सामने करते हुए घुटने को थोड़ा मोड़कर रखें|
  • अब पूरे शरीर का सन्तुलन या भार दाएँ पैर पर रखना है|
  • उसी समय बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दायीं टांग के आगे से घुमाते हुए पीछे की ओर ले जाएँ|
  • इस प्रक्रिया में बायीं जांघ, दायीं जांघ के ऊपर रहेगी और बायीं पैर का टखना दायीं पैर में घुमाकर फंसा लेंगे, जैसा चित्र में दर्शित है|
  • अब दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ते हुए क्रॉस करना है|
  • इस दौरान बायीं बाजू को दायीं बाजू के ऊपर रखना है|
  • फिर दोनों हथेलियों को घुमाकर (दर्शित चित्र के अनुसार) नमस्कार की मुद्रा में लाने का प्रयास करते रहें|
  • अब आप जितना देर तक हो सके खुद को सम्हालते हुए स्थिर रहें|
  • अब धीरे-धीरे अपनी प्रारम्भिक अवस्था में आ जाएँ|
  • यही मुद्रा अब दूसरी तरफ से करें|
  • इसे 2-4 बार कर सकते हैं|
  • दृष्टि सामने और श्वांस सामान्य होना चाहिए|
Garud Aasan (गरुड़ आसन)

गरुड़ आसन के लाभ

  • सन्तुलन में सुधार|
  • जांघ और हिप्स स्ट्रेच करता है|
  • पीठ को लचीला बनाता है|
  • मांसपेशियों को मजबूत बनाता है तथा पैर की ऐठन को दूर करता है|
  • कन्धों में लचीलापन आता है|
  • नियमित अभ्यास से अण्डकोष के बढ़ने की समस्या को रोकता है|
  • पैरों, भुजाओं और पसलियों के विकास को ठीक करता है|
  • मूत्र विकार को ठीक करता है|
  • किडनी में विशेष लाभ|
  • पैरों के एड़ियों एवं सन्धियों को लचीला बनाता है|
  • सायटिका व हाथ-पैर के वात (वायु) निवारण में मदद करता है|
  • हाइड्रोसील में बड़ा लाभकारी|

सावधानियां

  • हाथ, पैर या गुप्तांग में कोई गम्भीर रोग हो तो ना करें|
  • बीमार हों या ऑपरेशन हुआ हो तो ना करें|
  • अपनी क्षमता से अधिक प्रयास ना करें|
  • गर्भवती महिलाओं को वर्जित|
  • गठिया रोग के मरीज देख-रेख में ही करें|

अनुगृहित (Obliged) –

मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने गरुड़ आसन को विस्तार पूर्वक बताया|

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