Tula Aasan (तुला आसन / लोलासन) में “तुला” संस्कृत भाषा का शब्द है| तुला का अर्थ तराजू या स्केल से है| भारतवर्ष के महान योगियों ने इन्सान के जीवन में संतुलन बनाने के लिए कई आसनों का निर्माण किया है| इन्हीं आसनों में से एक प्रमुख आसन तुला आसन है| इस आसन की प्रेरणा वजन तौलने वाले तराजू से ली गयी है| यह हठ योग शैली का योगासन है|
तुला आसन – धैर्य, कठोरता, सहनशीलता और प्रसन्नता जैसे भावों का अनोखा संगम है|
तुला आसन करने की विधि
- सुख आसन में बैठ जायें|
- पद्मासन अर्थात बाएं (लेफ्ट) पैर को उठाकर दायें (राईट) जांघ पर रखें और दायें (राईट) पैर को उठाकर बायीं (लेफ्ट) जांघ पर रखें|
- पैरों के तलवे ऊपर की ओर रहेंगे|
- दोनों हाथों की हथेलियों को जांघों के पास जमीन पर टिकाएं|
- हथेलियों से नीचे दबाव डालते हुए नितम्ब को ऊपर उठायें, साथ में दोनों घुटने भी जमीन के समानान्तर उठाएं|
- दृष्टि सामने रखें|
- अब शरीर को आगे पीछे झुलाएँ|
- ऊपर उठते समय श्वांस लीजिये, आगे-पीछे झूलते समय श्वांस रोक कर रखें और जमीन पर वापस आते समय श्वांस छोड़ें|
- इसे 30-60 सेकण्ड्स तक करें|
- इसे दोहराने की जरूरत नहीं है|
तुला आसन के लाभ
- यह आसन हाथों, कन्धों व सीने को पुष्ट करता है|
- पाचन तन्त्र को सुधारता है|
- पेट की मांसपेशियों को सख्त बनाता है|
- शरीर में चेतना और सन्तुलन का विकास करता है|
- एकाग्रता बढ़ाने के लिए इसका अभ्यास ऋषि भी करते थे|
- सिक्स-पैक एब्स को बनाने में मदद करता है|
- हानिकारक टॉक्सिक को बाहर निकालता है|
- रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है|
- इसे करने से दिमाग शान्त रहता है|
सावधानियां
- यह आसन सुबह ही करें या भोजन के चार घन्टे बाद कभी भी कर सकते हैं|
- रीढ़ में दर्द हो तो न करें|
- गर्दन या कन्धों में दर्द हो तो भी ना करें|
- डायरिया हो तो परहेज करें|
- दिल या हाई बी.पी. के मरीज न करें|
- कोई गंभीर बीमारी हो तो न करें|
अनुगृहित (Obliged) –
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने तुला आसन को विस्तार पूर्वक लिपिबद्ध किया|
बहुत अच्छा ,ज्ञानवर्धक ,शांतिदायक ,संतुलन का आसन है