Fitness

Vajra Aasan (वज्र आसन)

वज्रासन ध्यान और दृढ़ मुद्रा है| इस मुद्रा में बैठना चुनौतीपूर्ण है|

यह आसन सरल और अत्यंत प्रभावशाली है| प्राणशक्ति प्रवाह के मार्ग की नाड़ी है जिसे वज्र नाड़ी कहते हैं| इसका सीधा सम्बन्ध मूत्र निष्कासन और प्रजनन तंत्र से है| ऐसा वर्णन मिलता है कि इस नाड़ी पर इच्छानुसार नियंत्रण प्राप्त हो जाये तो व्यक्ति बड़ा शक्तिशाली और वज्र के समान कठोर हो जाता है| वज्र नाड़ी को देवराज इंद्र का अस्त्र भी कहा जाता है| मन इन्द्रियों का राजा है| वज्र नाड़ी के माध्यम से हम मन को इस योग्य बनाते हैं कि कामशक्तियों के रूप में, वज्र नाड़ी में प्रवाहित समस्त शक्तियों को नियंत्रित कर सकें|

  • जितना सम्भव हो उतने समय तक अभ्यास करिए|
  • भोजन के बाद लगभग पांच मिनट तक का अभ्यास पाचन क्रिया को तीव्र करता है|
  • सहज रूप से श्वांस-प्रश्वांस पर मन को स्थिर रखें और आँख बंद कर लें तो मन को शांति प्रदान करता है|
  • आपने देखा होगा वज्रासन; जापानी, बौद्ध और मुस्लिम समाज में प्रार्थना और ध्यान का आसन है|

वज्रासन करने की विधि

Vajra Aasan
  • घुटने के बल सीधे बैठ जाएँ|
  • पैर के पंजे फैलाकर, एक पैर के अंगूठे को दूसरे पर रखिये और एड़ियाँ बाहर की तरफ अलग-अलग रखनी है|
  • अपने नितम्ब को पंजे के बीच में रखिये और एड़ियाँ कूल्हे की तरफ फैली रहें|
  • रीढ़ की हड्डी सीधी, दृष्टि सामने|
  • दोनों हथेलियों को घुटने पर रखें|
  • श्वांस सामान्य, ध्यान श्वांसों पर|
  • अब आँखें बंद कर लें|
  • पांच मिनट से ज्यादा या सामर्थ्य अनुसार ही करें|

वज्रासन के लाभ

  • सम्पूर्ण पाचन प्रणाली की कार्यकुशलता बढ़ा देता है; इसलिए भोजन के बाद यह अत्यंत प्रभावशाली है|
  • स्त्रियों में यह गर्भाशय में रक्त व स्नायुविक प्रवाह को बदल देता है|
  • अपचन रोग में परम लाभदायक है|
  • आमाशय और गर्भाशय की मांशपेशियों के शक्ति प्रदान करता है|
  • हर्निया से बचाव करता है|
  • रीढ़ के निचले भाग में गड़बड़ी और सायटिका में एकमात्र आसन है|
  • पेट के छालों से छुटकारा पाने में अति लाभकारी है|
  • पैर पर रक्त प्रवाह कम करके पाचन भाग में प्रवाह बढ़ाता है जिससे पाचनतंत्र ठीक तरह से काम करता है|

विशेष सावधानी

  • शुरुआत में इस आसन से पैरों में दर्द हो सकता है, अगर ऐसा है तो वज्रासन से उठकर, पैरों को आगे फैला लें|
  • टखनों, घुटनों और पिण्डलियों पर मालिश कर लें या दोनों पैरों को हिला लें|

वज्रासन करने की सावधानियां

  • वैसे यह आसन पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन घुटनों में कोई समस्या हो तो यह अभ्यास करने से बचें|
  • गर्भवती स्त्रियाँ घुटनों में अंतर (दूरी) बनाकर बैठें ताकि पेट पर दबाव न पड़े|
  • रीढ़ के जोड़ में कोई गड़बड़ी हो तो यह आसन ना करें|
  • हर्निया, आँतों में अल्सर, छोटी-बड़ी आँतों में किसी प्रकार की समस्या से पीड़ित हैं तो प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें|

Supt Vajra Aasan (सुप्त वज्र आसन)

Supt Vajra Aasan

वज्रासन का एडवांस रूप सुप्तवज्रासन है|

Supt Vajra Aasan

योग आसनों में सुप्तवज्रासन बेहद लाभप्रद योग माना जाता है| सुप्त का अर्थ है “सोया हुआ” और वज्र एक “नाड़ी का नाम” है, जिसका सम्बन्ध कामशक्ति से है| यह आसन कामशक्ति को सूक्ष्मतम रूप प्रदान करता है| यह पीठ के बल लेटकर किया जाता है, इसलिए इसे सुप्तवज्रासन कहा गया है| आसन करने में इतना कठिन नहीं है फिर भी अपनी क्षमता को देखते हुए ही करें|

सुप्तवज्रासन करने की विधि

Supt Vajra Aasan
  • वज्रासन में बैठ जाएँ|
  • सामान्य श्वांस लेते हुए हाथों को नितम्बों के पास जमीन पर रखें|
  • कोहनी को मोड़ें और धीरे से शरीर को पीछे की ओर झुकाएं की कोहनियाँ फर्श पर टिक जाएँ|
  • सिर को पीछे की ओर इतना नीचे करें कि सिर का ऊपरी भाग जमीन को छू ले|
  • कोहनी जमीन पर रहे और दोनों हाथ का पंजा जांघ पर रखें|
  • श्वांस सामान्य लेते रहें|
  • दोनों हाथ को सिर की तरफ जमीन पर भी फैला सकते हैं|
  • 5-10 सेकण्ड्स बाद कोहनियों की सहायता से धीरे-धीरे प्रारम्भिक स्थिति में आ जाएँ|
  • 1-3 बार कर सकते हैं|

सुप्तवज्रासन के लाभ

  • यह आसन गर्दन, पीठ और छाती के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूत करता है|
  • पीठ दर्द ठीक होता है|
  • फेफड़े को मजबूत करता है|
  • दम और खांसी के निवारण में सहायक है|
  • थॉयरायड-पैराथॉयरायड की ग्रन्थियों को उत्तेजित करता है|
  • कुबड़ेपन को ठीक करता है|
  • रीढ़ और कूल्हे का लचीलापन बढ़ाता है|
  • जांघ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और बेडौल चर्बी ठीक करता है|
  • प्रजनन क्षमता बढ़ाने में लाभदायक|

सुप्तवज्रासन करते समय सावधानियां

  • उच्च रक्त चाप (High BP) के रोगी ना करें|
  • डिस्क फिसल गयी है तो ना करें|
  • घुटने दर्द से परेशान व्यक्ति न करें|
  • गर्दन और डिस्क में ज्यादा गड़बड़ी हो तो प्रशिक्षक की सहायता से करें|

अनुगृहित (Obliged) –

मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने वज्रासन और सुप्तवज्रासन को बहुत ही सरल भाषा में समझाया|

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