Matsyendra Aasan (मत्स्येन्द्र आसन) को वक्रासन के नाम से भी जाना जाता है| यह दो शब्दों से मिलकर बना है, वक्र और आसन, वक्र का अर्थ “टेढ़ा” और आसन का अर्थ “मुद्रा”, अर्थात इस आसन को करने के लिए शरीर को टेढ़ा करना पड़ता है|
यह गुरु गोरखनाथ के शिष्य मत्स्येन्द्र नाथ का पसंदीदा आसन था| वो इसी आसन (मुद्रा) में साधना किया करते थे|
Matsyendra Aasan (मत्स्येन्द्र आसन) दो प्रकार से किया जाता है –
अर्ध मत्स्येन्द्र आसन
- सीधा बैठें|
- दोनों पैर एक सीध में सामने की ओर फैलाएं|
- बाएं पैर को मोड़कर, दायें पैर के जांघ से सटाकर रखें|
- दायें हाथ को बाएं घुटने के ऊपर से लाते हुए दायें पैर के घुटने के पास पकड़ें|
- श्वांस छोड़ते हुए जितना संभव हो धड़ को बाएं तरफ पीछे की ओर मोड़ें|
- बाएं हाथ को रीढ़ के सीध में जमीन पर टिकाएं और जितना पीछे देख सकें देखें|
- 30-60 सेकण्ड्स तक रुकें, फिर वापस आयें|
- इसी तरह दूसरी ओर से करें|
पूर्ण मत्स्येन्द्र आसन
- दोनों पैर को सामने फैला कर सीधे बैठें|
- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी को गुदा द्वार के पास सटा लें|
- अब दायाँ पैर घुटने से मोड़कर खड़ा करके, बाएं पैर के बाहर की तरफ जांघ के पास रखें|
- बाएं हाथ को, दाहिने पैर के घुटने को दबाते हुए, उसी पैर के पंजे को पकड़ने का प्रयास करें|
- अब दायाँ हाथ सामने फैलाएं और दृष्टि हाथ पर|
- पुनः श्वांस छोड़ते हुए हाथ को दायें तरफ पीछे की ओर घुमाएँ साथ में दृष्टि हाथ पर बनाये रखें|
- उसी हाथ को मोड़कर पीठ के पीछे कमर पर लायें|
- श्वांस छोड़ते हुए जितना पीछे देख सकें देखें|
- 15-30 सेकण्ड्स तक रुकें, फिर उसी क्रम में वापस आयें|
- इसी प्रकार से दूसरी तरफ से करें|
लाभ
- यह बहुत लाभदायक आसन है|
- रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाकर उसकी कार्यकुशलता में सुधार लाता है|
- पीठ दर्द और कठोरता से राहत दिलाता है|
- छाती खोलता है और फेफड़ों में ऑक्सीजन लेने की क्षमता को बढ़ाता है|
- कूल्हे का जोड़ लचीला बनाता है|
- बांह, कन्धा, गर्दन और उपरी पीठ के तनाव को कम करता है|
- पाचन में सुधार लाता है|
- अग्न्याशय की क्रियाशीलता सुधार कर डायबिटीज में लाभकारी होता है|
- स्त्रियों में मासिकधर्म की परेशानियों को सुधारता है|
- कुंडलिनी जागरण में सहायक|
सावधानियां
- गर्भवती महिलाएं ना करें|
- हृदय रोगी ना करें|
- सायटिका या स्लिपडिस्क में प्रशिक्षक की देख-रेख में करें|
- दिल, पेट और मस्तिष्क ऑपरेशन वाले ना करें|
- रीढ़ में चोट वाले ना करें|
- अल्सर और हर्निया वाले ना करें|
अनुगृहित (Obliged) –
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने माताजी की मदद से मत्स्येन्द्र आसन को विस्तार से समझाया|
अत्यन्त लाभकारी आसान
Bahut accha dhanyawad
Nice information
बहुत फायदेमंद आसन है सर् ।।धन्यवाद