Paschimottanasana (पश्चिमोत्तानासन) दो शब्दों से मिलकर बना है, पश्चिम का अर्थ है “पीछे” और उत्तान का अर्थ है “तानना”| इस आसन के दौरान रीढ़ की हड्डी के साथ, शरीर का पिछला भाग तन जाता है| जिसके कारण इसका नाम पश्चिमोत्तानासन पड़ा है| देखने में सरल लगता है पर अभ्यास कठिन है| इसलिए इसे उग्र आसन भी कहा जाता है|
शिव संहिता में भगवान शिव में प्रशंसा करते हुए कहा है कि यह आसन, सर्वश्रेष्ठ आसन है| इसको प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखें और इसके अधिकारी को ही रहस्य बताएं| ध्यान, मणिपुरी चक्र पर| इसके अभ्यास से कायाकल्प हो जाता है| गोरखनाथ ने लोक कल्याण हेतु इसका प्रचार किया|
Paschimottanasana (पश्चिमोत्तानासन) कई प्रकार से किया जाता है
एक पाद पश्चिमोत्तानासन
जमीन पर दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाएँ|
बाएं पैर को मोड़कर पंजा दायें जांघ से सटाएँ|
शरीर को सीध में रखते हुए दोनों हाथ ऊपर कान से सटाकर उठायें, श्वांस भरें|
श्वांस छोड़ते हुए दोनों हाथ से बाएं पैर का पंजा पकड़ें|
श्वांस छोड़ते हुए नाक से दायें घुटने छूने का प्रयास करें|
10 सेकण्ड्स तक रुकें पुनः श्वांस लेते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएँ|
इस क्रिया तो दूसरे पैर से करें|
2-5 बार अभ्यास करें|
दो पाद पश्चिमोत्तानासन
दोनों पैर को सामने फैलाकर पंजे मिलाकर बैठें|
श्वांस भरते हुए दोनों हाथ कान से सटाकर ऊपर ताने|
अब श्वांस छोड़ते हुए दोनों हाथ से दोनों पैर के पंजे को पकड़ें|
आराम से श्वांस छोड़ते हुए नाक से घुटना छूने का प्रयास करें|
10 सेकण्ड्स बाद श्वांस लेते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएँ|
2-5 बार कर सकते हैं|
विभक्त पाद प्रसार पश्चिमोत्तानासन
दोनों पैर के बीच अधिकतम दूरी बनायें|
दायें हाथ से बाएं पंजे को पकड़ें और बयान हाथ श्वांस छोड़ते हुए पीछे कमर पर रखें|
पुनः श्वांस छोड़ते हुए नाक बाएं पैर के घुटने को छूने का प्रयास करें|
10 सेकण्ड्स में वापस आयें|
इसी तरह दूसरी ओर करें|
प्रथम अवस्था में बैठें और पैरों में अधिकतम दूरी बनायें|
बाएं हाथ से बाएं पैर का पंजा पकड़ें और दाहिना हाथ सटाएँ|
श्वांस छोड़ते हुए शरीर को बाएं तरफ झुकाएं|
बाएं कान से बाएं घुटने को छूने का प्रयास करें|
दायें हाथ से भी बाएं पैर का पंजा पकड़ें|
10 सेकण्ड्स बाद वापस|
इसी तरह दूसरे तरफ से करें|
दोनों पैर में अधिकतम दूरी लेकर दोनों हाथों को जमीन के सामानांतर फैलाएं|
अब दायें हाथ से बाएं पैर के पंजे को छुएं और बायां हाथ ऊपर उठायें|
दृष्टि बाएं हाथ की ओर|
इसी प्रकार दूसरी ओर से करें|
श्वांस छोड़ते हुए झुकेंगें और श्वांस लेते हुए उठेंगे|
इस आसन को लगातार तेजी से भी कर सकते हैं|
10-20 बार, क्षमतानुसार करें|
पाद प्रसार आसन (भूनमन आसन)
दोनों पैरों को अधिकतम दूरी तक फैलाएं|
बाएं हाथ से बाएं पैर का पंजा पकड़ें और दायें हाथ से दायें पैर का पंजा पकड़ें|
अब श्वांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए नाक से जमीन छूने का प्रयास करें |
श्वांस भरते हुए वापस आ जाएँ, 5-10 सेकण्ड्स तक रुकें |
1-2 बार करें|
लाभ
तनाव कम करता है|
अनिद्रा रोग में लाभदायक|
चेहरे पर तेज़ लाता है|
महिलाओं के मासिक धर्म सम्बंधित विकारों में लाभ|
उम्र बढ़ने की रफ़्तार को धीमा करने वाला योग|
सायटिका में लाभ|
पाचन तन्त्र को मजबूत करता है|
पेट की चर्बी कम करके कमर को सुडोल बनाता है|
मेरुदण्ड को लचीला बनाकर अनेक रोगों में लाभ प्रदान करता है|
डायबिटीज में रामबाण|
सायनस में लाभकारी|
नपुंसकता दूर करके यौनशक्ति को बढ़ाता है|
शरीर स्वस्थ और फुर्तीला बनाता है|
यह क्रियात्म आसन के साथ-साथ आध्यात्मिक आसन भी है|
बच्चों के लम्बाई बढ़ाने में सहायक है|
सावधानियां
पेट में अल्सर वाले ना करें|
आँतों में सूजन हो तो ना करें|
गर्भवती महिलाएं ना करें|
पेट के ऑपरेशन वाले ना करें|
रीढ़ की गम्भीर समस्या में ना करें|
तेज कमर दर्द में न करें|
दमा के मरीज ना करें|
पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो तो ना करें|
आसन करने में जल्दबाजी ना करें, धीरे-धीरे अपनी क्षमतानुसार ही करें|
एक तो सप्ताह नियमित अभ्यास से सरलता आ जाएगी|
अनुगृहित (Obliged) –
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने माताजी की मदद से पश्चिमोत्तानासन को सजीव कर दिया|
मैं माही, मुझे शुरू से ही Shayari, Quote & Poetry (शायरी, विचार एवं कवितायेँ) लिखने का शौक रहा है| मैंने बहुत से लेख लिखे हैं उनमें से कुछ को मैं यहाँ ब्लॉग साईट पर पोस्ट कर रही हूँ|…
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Wow mam n. Sir
Bohot acchi aasan he hum try karenge sub ...