Warrior Pose (वीरभद्र आसन) भगवान शिव के अवतार वीरभद्र के नाम पर रखा गया है| यह जीवन में प्रेरणा प्रदान करता है| भारत के योग गुरुओं ने ना सिर्फ प्रकृति बल्कि धार्मिक कथाओं में वर्णन किये गए पत्रों के ऊपर भी आसनों का निर्माण किया| हिन्दू धर्म कथाओं में यह वर्णन मिलता है कि शिव के गण और कैलाश के द्वारपाल, “वीरभद्र” धरती से इसी मुद्रा में प्रकट हुए थे| इस बात का समर्थन तिब्बत और नेपाल के मिथक कथाओं में मिलता है| वीर का अर्थ “बहादुर” और भद्र का अर्थ “मित्र” होता है|
योग विज्ञान का यह बहुत अच्छा आसन है, यह पॉवर योग का आधार माना जाता है| बल और स्फूर्ति के लिए यह आसन किया जाता है|
Warrior Pose (वीरभद्र आसन) करने की तीन विधियाँ हैं
प्रथम विधि
पैरों के बीच 3-4 फीट की दूरी बनाकर सीधे खड़े हो जाएँ|
दायें पैर को 90 अंश और बाएं पैर को 15 अंश घुमा कर रखें|
दायीं एड़ी, बाएं पैर के सीध में हो|
दोनों हाथों को कन्धे के समानांतर फैलाएं|
श्वांस छोड़ते हुए दायें घुटने को 90 अंश तक मोड़ने का प्रयास करें|
सिर को घुमाकर दायें हाथ की तरफ देखें|
आसन में स्थिरता रखते हुए हाथों को थोड़ा और खीचें|
धीरे से पेल्विक को नीचे करके योध्दा की तरह स्थिर हो जाएँ|
प्रसन्न मुद्रा में रहें|
श्वांस सामान्य रखते हुए 20 सेकण्ड्स तक रुकें|
अब श्वांस लेते हुए ऊपर उठें और हाथों को नीचे कर लें|
इस तरह से बाएं तरफ से दोहराएँ|
द्वितीय विधि
दोनों पैरों को प्रथम विधि की स्थिति में लायें|
श्वांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठायें|
हथेलियों को नमस्कार की मुद्रा में बनायें|
शरीर को दायें तरफ घुमाएँ|
अब दायें पैर को 90 अंश तक मोड़ते हुए शरीर को थोड़ा पीछे की तरफ तानें|
दृष्टि हथेलिओं की तरफ हो|
10-20 सेकण्ड्स तक रुकें फिर श्वांस छोड़ते हुए वापस पूर्व स्थिति में आ जाएँ|
इस क्रिया को दूसरी तरफ दोहराएँ|
1-2 बार करें|
तृतीय विधि
नमस्ते की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं|
सामने की ओर समकोण में कमर से झुकें और दोनों हाथ सामने की ओर सीधे तानें|
अब दायें पैर को पीछे की ओर सीधे उठायें, श्वांस सामान्य रखें|
हाथ, पैर व शरीर एक सीधी रेखा में हो जाये, दृष्टि सामने रखें|
10-20 सेकण्ड्स तक रुकें फिर वापस पूर्व स्थिति में आ जाएँ|
इस क्रिया को दूसरे पैर से दोहराएँ|
1-2 बार करें|
लाभ
एड़ी,कन्धा,जांघ, पिण्डली, हाथ, पीठ आदि मजबूत होते हैं|
कहाँ खिंचाव आता है – टखना, नाभि, जान्घें, कन्धा, फेफड़ा, पिण्डली, गले की मांसपेशी, गर्दन|
श्वांस लेने के सिस्टम को बेहतर बनाता है|
संचार तंत्र सुदृढ़ होता है|
पूरे शरीर की मसल्स को फिट रखता है|
हिप्स, घुटने और टांगों को लचीला बनाता है|
जोड़ मजबूत होते हैं|
डीप स्ट्रेस से पूरी बॉडी को टोन करता है|
ताकत के साथ आत्मविश्वास को बढ़ाता है|
थेरेपी की तरह काम करता है|
आन्तरिक अंगों की कार्यशैली सुव्यवस्थित हो जाती है|
मेटाबोलिज्म को एक्टिवेट करता है|
सावधानियां (ऐसी स्थिति में ना करें)
रीढ़ की हड्डी में दर्द हो|
गंभीर बीमारी|
घुटने का दर्द या अर्थराइटिस में दीवार की सहायता लें|
हृदय विकार और ब्लड प्रेशर के रोगी ना करें|
अनुगृहित (Obliged) –
मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि पिताजी ने माताजी की मदद से वीरभद्र आसन को जीवंत कर दिया|
मैं माही, मुझे शुरू से ही Shayari, Quote & Poetry (शायरी, विचार एवं कवितायेँ) लिखने का शौक रहा है| मैंने बहुत से लेख लिखे हैं उनमें से कुछ को मैं यहाँ ब्लॉग साईट पर पोस्ट कर रही हूँ|…