Trikonasan (त्रिकोणासन) जैसा कि शब्द से ही जाहिर है कि शरीर को इस तरह से मोड़ना है कि तीन (3) कोण, त्रिकोण (ट्रीअंगेल) बन जाये| मोटापे से परेशान लोगो के लिए यह सबसे सरल और उपयोगी आसन त्रिकोणासन हैं।

Trikonasan (त्रिकोणासन) करने की विधि

  • पैर के पंजों को मिलाकर जमीन पर खड़े हो जाएँ|
  • हाथों को पीछे ले जाकर उंगलियों को आपस में फंसा लें और भुजाओं को ऊपर उठायें|
  • अब श्वांस छोड़ते हुए आगे घुटने की तरफ झुकें, पैर सीधा रहे|
  • 10 सेकण्ड्स तक रुकें, फिर धीरे-धीरे श्वांस लेते हुए सीधे खड़े हो जाएँ|
  • 5-10 बार करें|

विशेष – सर्वप्रथम ताड़ासन तत्पश्चात वृक्षासन और इसके बाद ही त्रिकोणासन करें|

Trikonasan (त्रिकोणासन) के लाभ

  • रीढ़ के मांशपेशियों को मजबूत करता है|
  • कन्धे को शक्ति प्रदान करता है|
  • पाचन सुधरता है, पेट ने निचले अंगों को उत्तेजित करता है|
  • ओस्टियोपोरोसिस, गर्दन के दर्द और नपुंसकता दूर करने में सहायक|
  • कमर और साइटिका में लाभदायक|
  • स्ट्रेस को दूर करता है|
  • बढ़ते हुए युवा शरीरों को विशेष लाभ|
  • कब्ज दूर करता है, भूख बढ़ाता है|
  • अतिरिक्त फैट (चर्बी) को कम करता है|
  • शरीर सुडौल व खूबसूरत बनता है|
  • मणिपुर चक्र को संतुलित करता है, अनाहद, मूलाधार और स्वधिष्ठान को जागृत करता है|

सावधानियां

  • अगर गर्दन में समस्या है तो ऊपर देखने की बजाए सामने की तरफ देखें|
  • दिल के मरीज ना करें|
  • लो ब्लड प्रेशर, डायरिया और सिरदर्द की समस्या हो तो इस आसन को न करें|
  • स्लिप-डिस्क वाले न करें|
  • माइग्रेन में न करें|
  • हाइपर एसिडिटी में न करें|
  • स्पाइन डिसऑर्डर, स्प्लेंडीसाईटिस या शरीर में चोट हो तो न करें|
  • गर्भवती महिलाएं प्रशिक्षक के देखरेख में करें|

त्रिकोणासन करने की द्वितीय-1 विधि

Trikonasan
  • पैर के पंजों के बीच तीन (3) फीट कि जगह बनाकर खड़े हो जाएं|
  • दोनों हाथों को जमीन के सामानांतर एक सीध में फैलाएं|
  • बाएं पैर का घुटना थोड़ा मोड़ते हुए, बायीं तरफ कमर से झुकते हुए, बाएं पैर के पंजे को छूने का प्रयास करें, मुख और दायाँ हाथ सीधे ऊपर की ओर और दोनों हाथ एक सीध में होने चाहिए|
  • यही क्रिया दूसरी तरफ दोहराएँ|
  • नीचे झुकते समय श्वांस छोड़ें और उठते समय श्वांस लें|
  • इसको 5-10 बार कर सकते हैं|

त्रिकोणासन करने की द्वितीय-2 विधि

Trikonasan
  • इसी आसन में पुनः आ जाएँ लेकिन ऊपर का हाथ कान से सटाते हुए जमीन के सामानांतर लायें|
  • इसी प्रकार दूसरी तरफ करें|
  • 5-10 बार कर सकते हैं|

त्रिकोणासन द्वितीय के लाभ

  • पैर से लेकर छाती, कन्धों की मांशपेशियों और नसों को लचीला बनाता है|
  • कमर के फैट (चर्बी) को भी संयमित करता है|

त्रिकोणासन करने की तृतीय विधि

Trikonasan
  • पहली स्थिति में खड़े हो जाएँ|
  • पैरों में तीन (3) फीट की जगह रखें|
  • दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उंगलियों को आपस में फसाएं|
  • अब श्वांस छोड़ते हुए नाक को बाएं घुटने से सटाने का प्रयास करें, 10 सेकण्ड्स तक रुकें|
  • ध्यान रहे दोनों घुटने मुड़ने ना पायें|
  • श्वांस लेते हुए ऊपर उठें|
  • फिर इसी प्रकार दूसरी तरफ भी करें|
  • 5-10 बार करें|

त्रिकोणासन करने की चतुर्थ विधि

Trikonasan
  • त्रिकोणासन-2 की तरह खड़े हो जाएँ|
  • दोनों हाथों को जमीन के सामानांतर फैलाएं|
  • अब शरीर को पीछे घुमाते हुए कमर से इतना झुकें कि समकोण बन जाये|
  • बाएं हाथ की उँगलियाँ दायें पैर के पंजे को स्पर्श करे|
  • दृष्टि ऊपर की तरफ दायें हाथ की उंगलियों पर होनी चाहिए|
  • इस क्रिया को दूसरी तरफ भी दोहराएँ|
  • झुकते हुए श्वांस छोड़ना है और उठते समय श्वांस लेना है|

अनुगृहित (Obliged) –

मेरे पिता श्री शशीन्द्र शाश्वत के द्वारा अर्जित जानकारी से यह पोस्ट लाभान्वित है| मैं कोटि-कोटि धन्यवाद् देता हूँ कि उन्होंने त्रिकोणासन करने की विधि का सचित्र वर्णन किया|